हेल्लो दोस्तो, क्या आप जानना चाहते हैं – कृषि बिल क्या हैं 2020? – Krishi Bill Kya Hai,Farmer Bill 2020 in Hindi, तीनो कृषि बिल क्या है? किसान आंदोलन क्यों हो रहा है? Kisan Andolan Kyon Ho Raha Hai? किसान आंदोलन की मांग क्या है? Kisan Andolan Ki Mang Kya Hai?, तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े। आपके सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा।
केंद्रीय सरकार ने तीन नए कृषि बिल 2020 पारित किया हैं। जिसके खिलाफ में दिल्ली के अलग अलग सीमाओं पर किसान संगठन द्वारा विरोध आंदोलन किया जा रहा हैं। इस आर्टिकल में इस किसान आंदोलन के बारे में समझेंगे।
कृषि बिल क्या हैं 2020? | Krishi Bill Kya Hai 2020? | किसान आंदोलन क्यों हो रहा है? | Kisan Andolan Kyon Ho Raha Hai In Hindi?
कृषि बिल क्या हैं 2020? | Farmer Bill 2020 Kya Hai in Hindi
केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा तीन अध्यादेश पास किए गए हैं, जो लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान कानून में बदल दिए गए। इन क़ानूनों के अनुसार अब किसान अपने कृषि उत्पादों की ख़रीद बिक्री एपीएमसी (APMC) मंडी से अलग खुले बाज़ार में भी कर सकते हैं। इन कानूनों के तहद किसनों को मंडी के बाहर जहाँ पर भी व्यापारी अच्छी कीमत देंगें, वहां बेच सकेंगें। मंडी में ही अनाज बेचने की उनकी बंदिश ख़त्म हो जाएगी।
Note:- Full Form Of APMC – Agricultural Produce Market Committee (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) – कृषि उपज बाजार समिति
तीनो कृषि बिल क्या है? | Tin Krishi Bill Kya Hai?
- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून-2020
- कृषि (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून-2020
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून-2020
इस कानून के तहद किसान (Farmer) मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं। बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं। इस कानून को लागू होने से APMC (कृषि उपज मंडी समिति) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री संभव है। साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। ऑनलाइन बिक्री (online selling) की भी अनुमति होगी। इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे।
2. कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून-2020
यह कानून देशभर में Contract farming (अनुबंध खेती) को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि Agreement (अनुबंध) करने वाले पक्ष या कंपनियों (Companies) को करनी होगी। किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया (Middleman) राज खत्म होगा।
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act) को 1955 में बनाया गया था। अब नये विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधित – Amendment) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से भंडारण सीमा (Storage Limit) हटा दी गई है। बहुत जरूरी होने पर ही इन पर भंडारण सिमा लगाई जाएगी। ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं। प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई भंडारण सिमा लागू नहीं होगी। उत्पादन, भंडारण और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा।
किसान आंदोलन क्यों हो रहा है? | Kisan Andolan Kyon Ho Raha Hai?
केंद्रीय सरकार ने 20 और 22 सितंबर, 2020 को संसद में कृषि संबंधी तीन विधेयकों (Acts) को पारित किया। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने इन विधेयकों को 27 सितंबर को मंजूरी दे दी, जिसके बाद ये तीनों विधयेक क़ानून बन गए।
इस कानून के तहद APMC (कृषि उपज बाजार समिति) की मंडियों के साथ साथ निजी कंपनियों (Private Companies) को भी किसानों के साथ अनुबंधीय खेती (Contract farming), खाद्यान्नों की ख़रीद और भंडारन (Purchase and Storage of food) के अलावा बिक्री करने का अधिकार (Right to Sell) होगा।
किसान (Kisan) इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं क्योंकि कि उनको आशंका हैं कि सरकार किसानों से गेहूं और धान जैसी फसलों की ख़रीद को कम करते हुए बंद कर सकती है और उन्हें पूरी तरह से बाज़ार के भरोसे रहना होगा और उनको इस बात की आशंका भी है कि इससे निजी कंपनियों (Private companies) को फ़ायदा होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP – Minimum Support Price) के ख़त्म होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ेंगी।
हालांकि इन तीनों नए कृषि क़ानूनों में APMC मंडियों के बंद करने या MSP System (पद्धति) को समाप्त करने की बात चर्चा नहीं है। लेकिन किसानों को डर यह है कि इन क़ानूनों के ज़रिए निजी कंपनियों (Private companies) के इस बाज़ार में आने से अंत में यही होना है.
किसानों को यह भी आशंका हैं निजी कंपनियों के आने से सरकार अनाज की ख़रीद कम कर सकती है या बंद कर सकती है। इसलिए पंजाब के किसानों ने इन क़ानूनों के विरोध में जून-जुलाई से ही प्रदर्शन शुरू कर दिया था। सितंबर महीना से हरियाणा के किसान भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए
किसान आंदोलन की मांग क्या है? | Kisan Andolan Ki Mang Kya Hai?
दिल्ली की सीमा पर कृषि कानून को विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसान (Andolankari Kisan) संगठन केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने (निरस्त करने) की मांग कर रहे हैं और इनकी जगह किसानों के साथ बातचीत कर नए कानून लाने को कह रहे हैं
किसान संगठनों की प्रमुख 5 मांगे हैं? | Kisan Sangathan Ki Pramukh 5 Mange Hai?
- तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए क्योंकि ये किसानों के हित में नहीं है और कृषि के निजीकरण (Privatisation) को प्रोत्साहन देने वाले हैं। इनसे होर्डर्स और बड़े कॉरपोरेट (Corporate) घरानों को फायदा होगा.
- एक विधेयक के जरिए किसानों को लिखित में आश्वासन दिया जाए कि MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और कन्वेंशनल फूड ग्रेन खरीद सिस्टम खत्म नहीं होगा।
- किसान संगठन कृषि कानूनों के अलावा बिजली बिल 2020 को लेकर भी विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार के बिजली कानून 2003 की जगह लाए गए बिजली (संशोधित – Amendment) विधयेक (बिल) 2020 का विरोध किया जा रहा है। आंदोलनकारी किसानों का आरोप है कि इस बिल (विधयेक) के जरिए बिजली वितरण प्रणाली (Distribution System) का निजीकरण (Privatization) किया जा रहा है। इस बिल से किसानों को सब्सिडी (Subsidy) पर या फ्री बिजली सप्लाई की सुविधा खत्म हो जाएगी।
- आंदोलनकारी किसानों का चौथी मांग एक प्रावधान को लेकर है, जिसके तहत खेती का अवशेष जलाने पर किसान को 5 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- आंदोलनकारी किसानों की यह भी मांग है कि पंजाब में पराली जलाने के चार्ज लगाकर गिरफ्तार (Arrest) किए गए किसानों को छोड़ा जाए.
FAQ
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कृषि अध्यादेश क्या है? | Krishi Adhyadesh Kya Hai?
केंद्रीय सरकार ने तीन कृषि अध्यादेश 2020 पारित किया हैं – 1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश [Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020], 2. मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश [The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020], 3. आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन [The Essential Commodities (Amendment) Bill 2020]। जिसका किसान संगठनों द्वारा विरोध हो रहा है।
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कृषि बिल का मतलब क्या है? | Krishi Bill Ka Matlab Kya Hai?
कृषि बिल 2020 का मतलब है – किसान अपने कृषि उत्पादों की ख़रीद बिक्री एपीएमसी (APMC) मंडी से अलग खुले बाज़ार में भी कर सकते हैं। इन कानूनों के तहद किसनों को मंडी के बाहर जहाँ पर भी व्यापारी अच्छी कीमत देंगें, वहां बेच सकेंगें। मंडी में ही अनाज बेचने की उनकी बंदिश ख़त्म हो जाएगी।
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किसान बिल से क्या फायदा है? | Kisan Bill Se Kya Fayda Hai?
किसान बिल 2020 के संदर्भ में सरकार ने फायदा बताया हैं – किसान बिल (Farm Bills 2020) से किसानों को आजादी मिलती है। अब किसान अपनी फसल किसी को भी, कहीं भी बेच सकते हैं। इससे ‘वन नेशन , वन मार्केट (One Nation, One Market – एक राष्ट्र एक बाजार)’ स्थापित होगा। बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ पार्टनरशिप (साझेदारी) करके किसान ज्यादा फायदा (Profit) कमा सकेंगे।
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किसान बिल से क्या नुकसान है? | Kisan Bill Kys Se Nuksan Hai?
किसान बिल से नुकसान है – आंदोलन (Andolan) कर रहे किसानों का आशंका हैं कि सरकार किसानों से गेहूं और धान जैसी फसलों की ख़रीद को कम करते हुए बंद कर सकती है और उन्हें पूरी तरह से बाज़ार के भरोसे रहना होगा और उनको इस बात की आशंका भी है कि इससे निजी कंपनियों (Private companies) को फ़ायदा होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP – Minimum Support Price) के ख़त्म होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ेंगी। हालांकि इन तीनों नए कृषि क़ानूनों में APMC मंडियों के बंद करने या MSP System (पद्धति) को समाप्त करने की बात चर्चा नहीं है। लेकिन किसानों को डर यह है कि इन क़ानूनों के ज़रिए निजी कंपनियों (Private companies) के इस बाज़ार में आने से अंत में यही होना है.
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दिल्ली किसान आंदोलन क्या है? और पंजाब किसान आंदोलन क्या है?
नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ 26 नवम्बर 2020 से दिल्ली के अलग अलग सीमाओं पर पंजाब से लेकर हरियाणा तक किसानों का आंदोलन (Kisan Andolan) हो रहा है और सरकार से मांग किया जा रहा है कि नए कृषि कानून वापस हो।
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क्या किसान आंदोलन खत्म हो गया?
नही, किसान आंदोलन अभी खत्म नही हुई हैं। अभी भी जारी हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच कई वार्ता हुई है लेकिन दोनो के बीच आंदोलन खत्म करने की अभी तक सहमति नही बानी हैं।
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किसान आंदोलन कितने दिन हो गए?
कृषि कानून (Farm Bills 2020) के खिलाफ में दिल्ली के कई सीमाओं पर चल रहे 26 नवम्बर, 2020 से किसान आंदोलन (Kisan Aandolan) का आज 11 मई, 2021 को 167 दिन पूरे हो गए हैं।
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किसान आंदोलन कब तक खत्म हो जाएगा?
Kisan Andolan: नए कृषि कानूनों (New Farms Bill 2020) को लेकर बीते 2 महीनों से किसानों का प्रदर्शन जारी है। आंदोलन खत्म करने को लेकर सरकार और किसानों के बीच 10 दौर की बातचीत हो चुकी है, हालांकि रिजल्ट अब तक नहीं निकला। किसानों ने कहा है कि सरकार जब तक नए कृषि कानूनों (Farm Law) को खत्म नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
MSP और APMC क्या है?
Full Form Of MSP – Minimum Support Price (न्यूनतम समर्थन मूल्य) – किसानों की उपज खरीदने के लिए सरकार के द्वारा MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य – Minimum Support Price) निर्धारित किया गया है। जिसके अंतर्गत कोई भी व्यापारी सरकार के द्वारा निर्धारित की गयी दरो से कम में किसान से कृषि उत्पाद नहीं खरीद सकता है।
Full Form Of APMC – Agricultural produce market committee (कृषि उपज बाजार समिति)APMC काम मतलब आसान भाषा में बोले तो मंडी हैं, जहाँ पर किसान अपनी कृषि उत्पाद को MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के आधार पर बेचता है।
मंडी क्या होती है? Mandi Kya Hai?
किसानों की कृषि उपज के भण्डारण और विक्रय के लिए निर्मित चुने हुए कृषकों की सरकार द्वारा वित्त-पोषित स्वयात्तशासी समिति है, जो बिचौलियों के शोषण से किसान को बचाते हुए तोल और मोल दोनों का किसान हित में ख्याल रखती है।
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दोस्तों इस आर्टिकल मैं आपको बताया हूँ – कृषि बिल क्या हैं 2020? – Krishi Bill Kya Hai, तीनो कृषि बिल क्या है? किसान आंदोलन क्यों हो रहा है? Kisan Andolan Kyon Ho Raha Hai? किसान आंदोलन की मांग क्या है? Kisan Andolan Ki Mang Kya Hai? कृषि अध्यादेश क्या है? कृषि बिल का मतलब क्या है? किसान आंदोलन के तीन कानून क्या है? किसान बिल से क्या फायदा है? किसान बिल से क्या नुकसान है? दिल्ली किसान आंदोलन क्या है? और पंजाब किसान आंदोलन क्या है? किसान आंदोलन कब तक खत्म हो जाएगा? MSP और APMC क्या है? मंडी क्या होती है? आशा हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया हैं। इसे अपने दोस्तों रिस्तेदारों के साथ शेयर करे, नीचे कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दे। अगर कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट में पूछे।
Reference:- यह आर्टिकल, BBC Hindi, Economictimes Hindi, India.Com Hindi एवं अन्य गूगल न्यूज़ पर मिली जानकारी के आधार पर हैं।