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महिला आरक्षण बिल क्या है 2023? | What is Women Reservation Bill in Hindi

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विषय सूची

महिला आरक्षण बिल हाइलाइट्स

भारत में महिला आरक्षण बिल 2023 लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करता है।
इस बिल का नाम “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” है और इसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की सरकार ने 19 सितंबर, 2023 को संसद में पेश किया था।
इसे 20 सितंबर, 2023 को लोकसभा और 21 सितंबर, 2023 को राज्यसभा दोनों में पारित किया गया था।
यह विधेयक संविधान (108वां संशोधन) विधेयक, 2008 है।
लोकसभा में 454 सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट किया, जबकि दो ने इसके विरोध में वोट किया. राज्यसभा में 215 सांसदों ने बिल का समर्थन किया और किसी ने भी इसके खिलाफ वोट नहीं किया.
विधेयक 15 वर्षों तक वैध रहेगा, इस अवधि को संसद आगे बढ़ा सकती है।
इस विधेयक का उद्देश्य राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना और भारत में उनकी समग्र स्थिति में सुधार करना है।

आगे महिला आरक्षण के बारे में विस्तार से पढ़ें

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महिला आरक्षण बिल क्या है 2023, What is Women Reservation Bill 2023 in Hindi

भारतीय संसद ने एक विधेयक पारित किया है जो लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करेगा। इस बिल को “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” नाम दिया गया है।

मतलब “महिला आरक्षण बिल” और “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” एक ही विधायक है, इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं होना है।

इस बिल को 19 सितंबर 2023 को नए संसद भवन में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सरकार की ओर से पहला विधेयक महिला आरक्षण बिल (Mahila Arkshan Bill) को “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” के नाम से पेश किया गया, जिसे 20 सितंबर 2023 को लोकसभा में और 21 सितंबर 2023 को राज्यसभा में पारित किया गया.

महिला आरक्षण महिला आरक्षण बिल [संविधान (108वां संशोधन) विधेयक, 2008] है।

कितने सांसद महिला आरक्षण बिल के पक्ष में हैं और कितने विपक्ष में हैं?

भारतीय संसद का निचला सदन लोकसभा में, मेघवाल द्वारा पारित प्रस्ताव पर 454 सांसदों ने कानून के पक्ष में और दो ने इसके खिलाफ मतदान किया और भारतीय संसद का ऊपरी सदन राजयसभा में कुल 215 सांसदों (संसद सदस्यों) ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया और किसी भी सांसद ने इसके विरोध में मतदान नहीं किया।

महिला आरक्षण बिल में क्या प्रावधान हैं?

महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।

इस बिल के पारित होने के बाद, लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। राज्य विधानसभाओं में, आरक्षित सीटों की संख्या प्रत्येक राज्य की आबादी के अनुपात में होगी। दिल्ली विधानसभा में, 70 सीटों में से 23 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

पुदुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए कोई आरक्षित सीट नहीं होगी।

लोकसभा में एससी-एसटी महिला आरक्षण

लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं। इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी।

वर्तमान में, लोकसभा में 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं। महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद, इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा।

इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकेगा। यानी, इन सीटों पर उम्मीदवार पुरुष नहीं हो सकते।

महिला आरक्षण बिल कब लागू होगा?

आगामी जनगणना के बाद परिसीमन की प्रक्रिया होगी। परिसीमन में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर सीमाएं तय की जाती हैं। पिछला देशव्यापी परिसीमन 2002 में हुआ था और इसे 2008 में लागू किया गया था।

अब चूंकि 2021 की जनगणना अभी तक पूरी नहीं हुई है, इसलिए परिसीमन प्रक्रिया 2027 या 2028 में शुरू होने की संभावना है। परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं को भंग किया जाएगा। इसके बाद ही महिला आरक्षण प्रभावी हो सकता है।

इस हिसाब से, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू होना संभव नहीं है। इसलिए महिला आरक्षण बिल 2029 तक लागू होने की संभावना है।

महिला आरक्षण बिल कितने दिनों तक वैध रहेगा?

महिला आरक्षण बिल (Mahila Arkshan Bill) लागू हो जाने के बाद, महिला आरक्षण केवल 15 साल के लिए ही वैध होगा। हालांकि, इस अवधि को संसद आगे बढ़ा सकती है।

महिला आरक्षण में सीटों का तय कैसे होगा?

महिला आरक्षण बिल में कहा गया है कि परिसीमन की हर प्रक्रिया के बाद आरक्षित सीटों का रोटेशन होगा।

आरक्षण को लागू करने के लिए, संसद को सीटों के रोटेशन के लिए एक कानून और अधिसूचना पारित करनी होगी। स्थानीय निकायों में, जैसे पंचायत और नगर पालिकाओं में, एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं। इनमें आरक्षित सीट प्रत्येक चुनाव में बदलता रहता है। किसी निर्वाचन क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जाति की सीटें आरक्षित की जाती है।

छोटे राज्यों में कैसे सीटें आरक्षित की जाएंगी?

लद्दाख, पुडुचेरी और चंडीगढ़ केंद्र शासित राज्य तथा नागालैंड जैसे छोटे छोटे राज्यों में लोकसभा की केवल एक-एक सीटें हैं, वही मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो सीटें हैं। महिला आरक्षण विधेयक में केंद्र शासित राज्यों और छोटे राज्यों के लिए सीट आरक्षण को लेकर अभी तक स्पष्ट नहीं है।

पिछले महिला आरक्षण विधेयक में इस मामले को निपटा गया था। साल 2010 में राज्यसभा की ओर से पारित किए गए विधेयक में कहा गया था कि जिन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में केवल एक सीट है, वहां एक लोकसभा चुनाव में वह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी और अगले दो चुनाव में वह सीट आरक्षित नहीं होगी। वहीं दो सीटों वाले राज्यों में दो लोकसभा चुनावों में एक सीट आरक्षित होगी, जबकि तीसरे चुनाव में महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं होगी।

हालांकि, नए विधेयक में इस प्रावधान को शामिल नहीं किया गया है। इसकी वजह से यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्र शासित राज्यों और छोटे राज्यों में सीट आरक्षण कैसे किया जाएगा।

महिला आरक्षण बिल पर पक्ष और विपक्ष का क्या राय है?

महिला आरक्षण बिल का कई महिला अधिकार समूहों (women’s rights groups) ने समर्थन किया है, जिनका तर्क है कि भारतीय राजनीति में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है। उनका तर्क है कि भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है और ऐसा भेदभाव और पूर्वाग्रह के कारण है। उनका यह भी तर्क है कि महिला आरक्षण विधेयक (Mahila Arakshan Bill) भारत में महिलाओं को सरकार में बड़ी आवाज देकर उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

महिला आरक्षण विधेयक का कुछ समूहों ने विरोध भी किया है, जो तर्क देते हैं कि यह भेदभावपूर्ण है और इससे कम योग्य महिलाओं को कार्यालय में चुना जाएगा। उनका यह भी तर्क है कि यह विधेयक भारतीय राजनीति में महिलाओं की संख्या बढ़ाने में प्रभावी नहीं होगा, क्योंकि यह केवल तथाकथित उच्च जाति की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करेगा।

महिला आरक्षण विधेयक भारत में एक विवादास्पद मुद्दा है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस विधेयक में भारत में महिलाओं के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने की क्षमता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इसे निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से लागू किया जाए।

महिला आरक्षण बिल क्या है? Women Reservation Bill Explained | Mahila Arkshan Bill Kya Hai?

अक्सर पूछा गया सवाल

महिला आरक्षण बिल को क्या नाम दिया गया है?

महिला आरक्षण बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है।

निष्कर्ष

अंत में, महिला आरक्षण बिल 2023 (Women Reservation Bill) भारत के संविधान में एक विधेयक पारित कानून है जो लोकसभा और सभी राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से 33% आरक्षण देने का गारंटी देता है। यह बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से पारित हो चुका है।

विधेयक के पक्ष में कई तर्क हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि महिलाओं को राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक आवाज मिले, लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिले और सरकार में महिलाओं के हितों के प्रतिनिधित्व में सुधार हो।

विधेयक के खिलाफ भी कई तर्क हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि यह पुरुषों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है, इससे अयोग्य महिलाओं को राजनीतिक पद के लिए चुना जाएगा और यह आवश्यक नहीं है। यह बिल तथाकथित उच्च जाति की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करेगा। यह बिल भारतीय महिलाओं के जीवन में सुधार लाने का वादा करता है, लेकिन इसे निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से लागू किया जाना चाहिए। स्रोत [1] [2]

महिला आरक्षण बिल पर आपकी क्या राय है नीचे कमेंट कर अपनी राय जरूर दें।

आशा है इस आर्टिकल में दी गई जानकारी – महिला आरक्षण बिल क्या है in hindi? mahila arkshan bill kya hai (What is Women Reservation Bill in Hindi), महिला आरक्षण बिल 2023 क्या है? महिला आरक्षण बिल 2023 pdf या नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 pdf in hindi बहुत जल्द उपलब्ध होगा। यह लेख आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों, परिचितों और रिश्तेदारों में सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम, पिनटेरेस्ट और ट्विटर इत्यादि पर शेयर करें और नीचे कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।

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